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Chapter 15 महावीरप्रसाद द्विवेदी (स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतकों का खंडन)

Class 10th हिन्दी क्षितिज भाग -2


कक्षा 10 की एनसीईआरटी पुस्तक "क्षितिज भाग 2" महावीरप्रसाद द्विवेदी (स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतकों का खंडन)

कक्षा 10 की एनसीईआरटी हिंदी पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग 2" में शामिल "स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतकों का खंडन" महावीरप्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखा गया एक महत्वपूर्ण लेख है। महावीरप्रसाद द्विवेदी हिंदी साहित्य के प्रख्यात आलोचक और विचारक थे, जिनका कार्य हिंदी भाषा और साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है।

लेख का सार:

"स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतकों का खंडन" में महावीरप्रसाद द्विवेदी ने स्त्री शिक्षा के खिलाफ उठाए गए तर्कों और विरोधों का तार्किक और सशक्त खंडन किया है। इस लेख में, द्विवेदी जी ने उन विभिन्न सामाजिक और धार्मिक भ्रांतियों का उत्तर दिया है जो स्त्री शिक्षा के खिलाफ थीं।

लेख में द्विवेदी जी ने यह स्पष्ट किया है कि स्त्री शिक्षा केवल एक व्यक्तिगत अधिकार नहीं है, बल्कि यह समाज के विकास और प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने यह बताया कि महिलाओं को शिक्षा देने से न केवल वे स्वयं सशक्त होती हैं, बल्कि समाज को भी इससे लाभ होता है।

भावार्थ:

इस लेख का भावार्थ यह है कि स्त्री शिक्षा को समाज के विकास के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए। महावीरप्रसाद द्विवेदी ने यह सिद्ध किया कि स्त्री शिक्षा के विरोध में उठाए गए तर्क और भ्रांतियाँ केवल समाज की पिछड़ी सोच का परिणाम हैं, और इन्हें दूर किया जाना चाहिए।

महत्त्व:

"स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतकों का खंडन" का महत्त्व इस बात में है कि यह स्त्री शिक्षा के महत्व को स्पष्ट रूप से स्थापित करता है और समाज में समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाता है। महावीरप्रसाद द्विवेदी का यह लेख छात्रों को यह समझने में मदद करता है कि शिक्षा सभी के लिए एक अधिकार है और इसका लाभ केवल व्यक्तियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे समाज के विकास में योगदान करता है। यह लेख समानता और शिक्षा के महत्व पर जोर देता है और समाज की प्रगति के लिए महिलाओं की शिक्षा की आवश्यकता को स्वीकार करता है।